Category: वचनामृत – अन्य
इच्छा
इच्छाओं को इच्छाशक्ति में परिवर्तित करना होगा । निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी
संवेदना
संवेदनशील ही सत्संग में जाकर सद्भावनाओं को परिष्कृत करता है । उससे आत्मशुद्धि कर, सिद्धि को प्राप्त करता है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
निर्वाण
निर्वाह = जीवन यापन निर्माण = जीवन मूल्यों की स्थापना निर्वाण = जीवन मूल्यों की स्थापना का फल मुनि श्री प्रमाण सागर जी
दान
कौन से दान को प्राथमिकता देनी चाहिए ? जिसका अवसर पहले आ जाय । मुनि श्री प्रमाण सागर जी
प्रभाव
जीवन में तीन का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है । मौसम माहौल मानसिकता मुनि श्री मंगलानंद जी
कर्मफल
3-4 उपवास के बाद भी उल्टी में साबुत चावल निकलते देखे जाते हैं । पुराने पुण्य/पाप यदि पच न पायें, तो अगले जन्मों में फल
विरोध
कचरे की गाड़ी निकलने पर कोई ऐतराज नहीं करता, पर ऊपर वाले का जलूस निकलने पर, नीचे वाले लोग, एक दूसरे का विरोध करते हैं
सही राह
सही राह पर चलने वाले क्या पाते हैं, यह तो पता नहीं, पर कुछ खो नहीं सकते, यह निश्चित है । मुनि श्री कुंथुसागर जी
दिगम्बरत्व
नग्न वह है, जिस पर कपड़े न हों । दिगम्बरत्व नग्नता नहीं है, दिग हों अम्बर जिसके, वे दिगम्बर हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
धर्मनीति/राजनीति
अपने गुनाह को स्वीकार करने वाले को धर्मनीति गले लगाकर शाबाशी देती है, राजनीति सज़ा । मुनि श्री सुधासागर जी
Recent Comments