Category: वचनामृत – अन्य
बंधन
April 25, 2016
सांसारिक बंधन पुराने जूते जैसा होता है – पता ही नहीं लगता कि पैर जूते में फंसा है । पता तब लगता है जब जूता
मुहूर्त
March 24, 2016
मुहूर्त तो शादी (फंसने) के लिये देखा जाता है, तलाक (निकलने) के लिये नहीं । मुनि श्री कुंथुसागर जी
सक्रियता
March 11, 2016
जुगनू की चमक, उसके सक्रिय होने पर ही दिखती है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
संसार के दु:ख
January 31, 2016
पं श्री जगमोहनलाल जी ने आचार्य श्री विद्यासागर जी से पूछा – आपको वैराग्य कैसे हुआ ? आचार्य श्री – आप लोगों के चेहरों को
स्वाभिमान
January 8, 2016
दिखावा करने वालों के स्वाभिमान नहीं होता । (वे तो दूसरों को ही महत्व देते रहते हैं ) मुनि श्री कुंथुसागर जी
सुख
December 17, 2015
संसार में सुख, दर्पण में मुख होता नहीं, दिखता है । साधनों में नहीं साधना से, साध्य को पाने में मिलता है । आर्यिका श्री
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