Category: वचनामृत – अन्य
पाप
कच्चा पारा और पका पाप छुपते नहीं हैं, शरीर से फूट फूट कर निकलते हैं । मुनि श्री कुंथुसागर जी
स्वप्न
99% सपने और जो बार बार एक ही स्वप्न आये तो उनका महत्व कुछ भी नहीं होता । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
बोलना
बोलने में जितनी शक्ति लगती है ,उससे दुगनी शक्ति बोलना रोकने में लगती है । मुनि श्री कुंथुसागर जी
संगति
जब निर्जीव खरबूजा खरबूजे को देखकर रंग बदल सकता है, तो हम तो सजीव हैं तो अच्छी/बुरी संगति का असर हम पर नहीं होगा ?
प्रेम/राग
जिसमें आकुलता, वह राग । जिसमें निराकुलता, वह प्रेम । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
परिवर्तन
परिवर्तन पीड़ादायक नहीं, परिवर्तन का विरोध पीड़ादायक होता है। गौतमबुद्ध
धर्माचरण
धर्माचरण का उद्देश्य पाप काटना हुआ तो फल आधा मिलेगा, पाप त्यागने का उद्देश्य हुआ तो फल पूरा तथा तुरंत शुरू । मुनि श्री प्रमाणसागर
पद
लंका विजय के बाद श्री राम सबको दो पद (राजा/मंत्री) दे रहे थे । हनुमान ने भी दो पद माँगे, वे पद थे – श्री
जीवन
जीवन समस्या नहीं, रहस्य है; जिसे आपको सुलझाना है। स्वामी विवेकानंद जी
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