Posted by admin on October 31, 2015 at 10:07 am
अनिवृतिकरण :-
अ = नहीं;
निवृति = भेद;
करण = परिणाम;
पाठशाला
Posted by admin on October 29, 2015 at 10:45 am
गोत्र :-
सोने/चांदी के बर्तन को चमकाओ तो चमचमा जाते हैं,
लोहे/मिट्टी के ?
चिंतन
Posted by admin on October 28, 2015 at 10:35 am
जिनवाणी :-
तत्वार्थ सूत्र तो जिनवाणी अंश है,
पूजाऐं जिनवाणी में नहीं आतीं ।
Posted by admin on October 27, 2015 at 10:30 am
मुनि चर्या :-
Magnifying glass से चर्या ना देखें.
पर Naked eye से जरूर देखें ।
Posted by admin on October 26, 2015 at 11:13 am
मंदकषाय / ज्ञानावरण :-
मंद कषायी को देव गति मिलने की संभावना तो रहती है पर उसने जिनवाणी से छेड़छाड़ की तो देव से फिर दुर्गति में जाना पड़ेगा ।
बाई जी
Posted by admin on October 24, 2015 at 11:03 am
भाव :-
मरण के समय दान के भी भाव नहीं रखना ।
सोचें – मेरा है क्या, जो दान करूँ ?
घर वालों के भाव भी खराब हो सकते हैं ।
Posted by admin on October 22, 2015 at 11:01 am
दर्शन किसके ? :-
दर्शन उनके ,
जो सम्यग्दर्शन में निमित्त बन सकते हों ।
Posted by admin on October 21, 2015 at 10:59 am
निर्विचिकित्सा :-
इस भावना से परिणामों में असाता नहीं आती ।
चिंतन
Posted by admin on October 20, 2015 at 10:57 am
अभिषेक :-
स्फटिक-मणी की पाँच इंच की प्रतिमा को लेकर चला जा सकता है,
उनका अभिषेक भी जरूरी नहीं है ।
Posted by admin on October 19, 2015 at 10:50 am
गंधोदक :-
बिना गंध वाले जल से अभिषेक करने पर भी ,गंधोदक इसीलिये कहा है क्योंकि भगवान के सुगंधित शरीर/मूर्ति से स्पर्श किया जल ,सुगंधित हो जाता है ।
Posted by admin on October 18, 2015 at 8:20 am
प्रतिमाओं की संख्या:-
अकृत्रिम चैत्यालयों में 108 (even no.),
कृत्रिम में odd ?
शायद, कृत्रिम में बढ़ाने की भावना/सम्भावना होती है, अकृत्रिम में नहीं ।
चिंतन
Posted by admin on October 15, 2015 at 8:20 am
पर्याय:-
गरम पानी, अग्नि की पर्याय है,पानी की नहीं ।
राग-द्वेष पुदगल की पर्याय है, जीव की नहीं ।
मु.श्री प्रमाणसागर जी
Posted by admin on October 12, 2015 at 02:57 pm
शुभ / शुध्द :-
हंस दूध पीकर पानी को छोड़ता नहीं है, पानी छूट जाता है ।
शुध्द अवस्था में, शुभ अपने आप छूट जाता है, छोड़ना नहीं पड़ता ।
आ.श्री विद्यासागर जी
Posted by admin on October 08, 2015 at 02:57 pm
सामिष :-
Non Veg खाने वाले के साथ खाना, अंतराय का दोष ।
मजबूरी हो तो उपवास रख लो ।
Posted by admin on October 07, 2015 at 02:55 pm
मुनियों की परीक्षा :-
श्रावकों को परीक्षा लेने का हक ना भी मानो, पर समीक्षा करना कर्तव्य है ।
Posted by admin on October 06, 2015 at 02:50 pm
धर्म ध्वजा :-
धर्म ध्वजा कलश से एक फुट ऊपर रखें ।
( कलश से टकराना नहीं चाहिए)
Posted by admin on October 05, 2015 at 09:44 am
पूजा :-
वीतरागी की पूजा से कर्म कटते हैं,
रागी की पूजा से कर्म बंधते हैं ।
Posted by admin on October 03, 2015 at 09:47 am
राजू :-
राजू = असंख्यातासंख्याता योजन
= (असंख्यात X असंख्याय योजन)
Posted by admin on October 01, 2015 at 12:47 pm
भाव :-
कर्मोदय से शुभाशुभ भाव नहीं आते,
बल्कि अज्ञानता से आते हैं ।