आचरण स्थायी गुणों से ही तय होता है।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (जिज्ञासा समाधान- 26 फ़रवरी)
श्री बाल गंगाधर तिलक ने कहा था … अहिंसा का उपदेश तो अन्य मतों में भी है पर जैन धर्म में इसका आग्रह पूर्वक पालन करने को कहा गया है।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (जिज्ञासा समाधान- 26 फ़रवरी)
एक घर से बहू लाये, दूसरे घर में बेटी दी। लगाव/ खिंचाव किधर ज्यादा होगा ?
बेटी की ओर।
कारण ?
जहां दिया जाता है उधर ज्यादा लगाव होता है/ आकर्षण होता है।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (जिज्ञासा समाधान- 26 फ़रवरी)
(रेनू-नयाबाजार ग्वालियर)
सेवा ग्लानि और गाली को जीतकर ही की जा सकती है। घावादि से ग्लानि नहीं होनी चाहिए। सेवा कराने वाले को मरहम पट्टी कराते समय कष्ट भी होगा। हो सकता है लात भी खानी पड़े। गाली या स्तुति गा-ली।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 26 फ़रवरी)
धर्म में आस्था तो प्रायः देखी जाती है पर निष्ठा* की बहुत कमी है।
इसीलिये जीवन में धर्म दिखता नहीं है।
*स्थिरता/ समर्पण
मुनि श्री मंगलानंद सागर जी
हम सेवा का क्या भाव(मोल) लगा सकते हैं ! सेवक को क्या वेतन दोगे, जिसने अपने को हमारे लिए बे-तन कर दिया है। अतिभाररोपण से तो ज़रूर बचें, इसमें ज्यादा उम्मीद का भार भी आता है।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 26 फ़रवरी)
अंग्रेजी भाषा का भूत जापान में भी आया था। पर उन्होंने अनुसंधान करके पाया कि पहली कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक अंग्रेजी पढ़ाने के वजाय 12वीं के बाद अगर पढ़ाई जाए, जब मस्तिष्क विकसित हो जाता है तब वही काम 3 महीने में किया जा सकता है। पहली सालों में अपनी मातृभाषा के प्रति भावनायें प्रबल भी हो जाती हैं और अंग्रेजी भाषा भी 3 महीने में सीख ली जाती है।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 25 फ़रवरी)
यदि हम हिंदी राष्ट्रीय भाषा को उन राज्यों में जहाँ हिंदी नहीं बोली जाती, हिंदी की स्वीकार्यता चाहते हैं तो उनकी भाषा के भी कुछ-कुछ शब्द हिंदी बोलने वाले नागरिकों को सीखने चाहिए।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 25 फ़रवरी)
अंग्रेजी भाषा में 26 अक्षर, हिंदी में 52 होते हैं। हिंदी के परम्यूटेशन कांबिनेशन अंग्रेजी से दुगने नहीं, मल्टीप्लाई होंगे।
इसका असर..
1) अंग्रेजी में शब्दों की कंगाली।
2) भावों की कमी जैसे अंकल का मतलब चाचा भी और फूफा भी, जब कि बर्ताव चाचा और फूफा से अलग-अलग होता है।
3) अधिक परम्यूटेशन कांबिनेशन से दिमाग भी अधिक विकसित होता है।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 25 फ़रवरी)
रामायण के चरित्रों की विशेषता…
राम… पिता की आज्ञा मानकर वन गए इसलिए राम बन गए।
लक्ष्मण… वैसे तो परछाईं काले रंग की होती है पर राम की परछाई श्वेत थी, गोरे लक्ष्मण के रूप में।
भरत… गलती ना करके भी प्रायश्चित किया।
उर्मिला… लक्ष्मण के साथ न रह कर, घर में रह गयीं। उनकी मां की सेवा की।
मांडवी… तीसरी बहू के रूप में तीन माँओं की सेवा में रहीं। उनका कहना था “पति की आज्ञा मानना ही तो पति के साथ रहना है।”
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 25 फ़रवरी)
महात्मा गांधी जी ने कहा था…
“अहिंसा के लिए भी झूठ नहीं बोलना चाहिए वरना अहिंसा अस्थायी हो जाती है।”
मुनि श्री सौम्य सागर जी (जिज्ञासा समाधान – 24 फ़रवरी)
मछली घोंघे को ग्रहण करती है तो मछली समाप्त हो जाती है*, लोहा जंग को ग्रहण करता है तो लोहा समाप्त।
मनुष्य परिग्रह को ग्रहण करता है, मनुष्य समाप्त हो जाता है।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 24 फ़रवरी)
* घोंघे का बाहरी खोल बहुत हार्ड होता है।
रामायण में बताया… लक्ष्मण 14 साल तक आंख खोल कर सो लेते थे यानी कोई भी मूमेंट हुआ तो उसे डिटेक्ट कर लेते थे। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ही एक ज्वलंत उदाहरण है।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 20 फ़रवरी)
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