Posted by admin on October 29, 2016 at 04:15 AM·
एकत्व :-
पैन्सिल पतली सो अच्छी मानी जाती है ।
Posted by admin on October 28, 2016 at 10:50 AM·
नाटक :-
पंचपरमेष्ठी को नाटक के पात्र में नहीं दिखाना चाहिये ।
वे तो संसार के नाटक को समाप्त करने वाले होते हैं ।
Posted by admin on October 27, 2016 at 11:14 AM·
मूर्ति पत्थर की क्यों ?
भगवान हमारे हित/अहित के प्रति पत्थर जैसे हैं ।
चिंतन
Posted by admin on October 26, 2016 at 12:54 AM·
अस्थिरता :-
इधर रहकर उधर का ध्यान करोगे,
तो इधर का तो चला ही जायेगा और उधर का भी नहीं मिलेगा ।
Posted by admin on October 25, 2016 at 10:22 AM·
विषय और पर :-
विषय भोगों में तो फिर भी सुखाभास है लेकिन “पर” में तो दु:ख ही दु:ख,
इसीलिये पहले को अधम और दूसरे को अधमा-अधम कहा है ।
Posted by admin on October 22, 2016 at 10:16 AM·
चमत्कार :-
चमत्कार पर विश्वास और अविश्वास करने वाले दोनों ही अज्ञानी हैं ।
Posted by admin on October 21, 2016 at 12:03 PM·
त्याग के बाद आकिंचन्य का महत्व :-
त्याग जैसे कमरे में झाड़ू लगाना ।
आकिंचन्य झाड़ू के बाद पोंछा है ।
Posted by admin on October 20, 2016 at 02:30 PM·
पाना / छोड़ना :-
सम्यग्दर्शन पाने का उपाय नहीं बताया, मिथ्यादर्शन छोड़ने के उपाय बताये ।
मुख्य अतिथि चित्र बनाता नहीं, उस पर से आवरण हटाता है ।
अनावश्यक हटाने पर ही भगवान प्रकट होते हैं ।
Posted by admin on October 19, 2016 at 12:28 PM·
परोक्ष ज्ञान :-
यह दु:ख का कारण है ।
क्योंकि ये क्रमवार होते हैं,
इसलिये विकल्प सहित होते हैं ।
Posted by admin on October 18, 2016 at 02:58 PM·
शरीर :-
सम्यग्ज्ञानी शरीर छोड़ने (की स्थिति) के लिये भोजन करता है ।
शरीर में खोट यह है कि वह temporary है ।
Posted by admin on October 15, 2016 at 12:35 PM·
तप :-
शरीर को नहीं तपाओगे तो आत्मा तपेगी (जलेगी/दु:खी होगी) ।
Posted by admin on October 14, 2016 at 12:30 PM·
माता-पिता :-
जो अपने माता-पिता को छोड़ देते हैं वे अगले जन्म में पशु/सम्मूर्च्छन/अनाथ बनते हैं ।
Posted by admin on October 13, 2016 at 12:25 PM·
संबंध :-
3 प्रकार के –
1. संयोग – दाल और कंकड़
2. संश्लेष – दूध और पानी
3. तादात्म – ज्ञान और आत्मा
पाठशाला
Posted by admin on October 12, 2016 at 12:45 PM·
परिग्रह परिमाण :-
सीमा एक खेत की ली हो, पास का खेत खरीदकर अपने खेत में मिलाकर एक कर लिया, तो अतिचार या अनाचार ?
अतिचार, क्योंकि व्रत का ध्यान तो है ।
पाठशाला
Posted by admin on October 11, 2016 at 03:12 AM·
आर्य :-
5 प्रकार –
1. क्षेत्रार्य
2. जात्यार्य
3. कर्मार्य
4. चारित्रार्य
5. दर्शनार्य (सम्यग्दर्शन प्राप्त )
तत्वार्थ सूत्र टीका – 223
Posted by admin on October 08, 2016 at 11:45 AM·
अंतराय :-
अनुमोदना से अंतराय टलता है ।
Posted by admin on October 07, 2016 at 11:40 AM·
शब्द की गति :-
शब्द 2 समय में 14 राजू जा सकता है ।
Posted by admin on October 06, 2016 at 02:11 AM·
दवा :-
दवा शब्द “दबाने” से बना होगा ।
यानि दवा कर्मफल को दबाती है / उपशम करती है ।
चिंतन
Posted by admin on October 05, 2016 at 11:35 AM·
सचित्त दोष :-
5 वीं प्रतिमा से पहले ये सचित्त दोष कैसे लगा ?
मर्यादा समाप्त भोजन ग्रहण करने से ।
पाठशाला
Posted by admin on October 04, 2016 at 11:30 AM·
मोह :-
यह दृष्टि को बाधित कर देता है इसलिये हम कोल्हू के बैल की तरह संसार चक्र में अनादि से घूम रहे हैं ।
Posted by admin on October 01, 2016 at 02:14 AM·
आत्मानुभूति :-
जब तक रागानुभूति रहेगी, आत्मानुभूति नहीं होगी ।