श्रावकों (गृहस्थ) का धर्म नैमित्तिक (पर्व/उत्सव) होता है;
साधुओं का हर समय।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आचार्य श्री विघासागर महाराज जी ने धर्म की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः श्रावकों को धर्म से जुडकर रहना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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आचार्य श्री विघासागर महाराज जी ने धर्म की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः श्रावकों को धर्म से जुडकर रहना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।