Tag: भगवान

भगवान / देवता

देवता के पास बाह्य वैभव होता है, भगवान के पास आंतरिक । भगवान जन्म-मरण से परे, मुक्त, वीतरागी, अभिशाप/वरदान नहीं । देवता जन्म/मरण से युक्त,

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भगवान / गुरु

भगवान/गुरु, वे नहीं जो भक्तों से राग करते हों, बल्कि वे जो दुश्मनों से द्वेष ना करते हों ।

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भगवान का प्रभाव

असाता/पापोदय की तपती धूप से भगवान रूपी घना वृक्ष स्वत: छाया देता है, मांगनी नहीं पड़ती है । क्षु. श्री गणेशप्रसाद जी वर्णी

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भगवान / गुरु

भगवान धर्म की फसल के लिये बरसात है, गुरु नमी, जिससे एकाद फसल तो ले ही सकते हैं । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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भगवान के जन्म

भगवान पापियों का नाश करने नहीं, पुण्यात्माओं का उद्धार करने जन्मते हैं, जैसे जमीन में पानी ढ़ूंढ़ने के लिये नारियल का प्रयोग किया जाता है

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भक्त / भगवान

हनुमान को संकट-मोचन कहा, राम को क्यों नहीं ? सेवक मालिक की सेवा करता है या मालिक सेवक की ??

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दाता रूप भगवान

सीधे मुँह वाले कलश में ही दान प्राप्त होता है । जिन्हें भगवान पर विश्वास है,उनको ही बहुमूल्य शान्ति/आनंद प्राप्त होता है ।

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भगवान और इनसान

मिट्टी की मूर्तियाँ बनाने वाला कलाकार ईश्वर से कहता है…..  हे प्रभु ! तू भी एक कलाकार है और मैं भी एक कलाकार हूँ, तूने

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मंगल आशीष

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