अनुराग
धर्मानुराग – धर्म के प्रति ऐसा अनुराग जो विपत्ति में भी बना रहे ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
(अंधानुराग – अधर्म को भी धर्म का नाम देकर अनुराग/श्रद्धा सहित करना,
संसानुराग – आत्मा का अहित करनेे वाले संसारियों से अनुराग बनाये रखना)
धर्मानुराग – धर्म के प्रति ऐसा अनुराग जो विपत्ति में भी बना रहे ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
(अंधानुराग – अधर्म को भी धर्म का नाम देकर अनुराग/श्रद्धा सहित करना,
संसानुराग – आत्मा का अहित करनेे वाले संसारियों से अनुराग बनाये रखना)
One Response
उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है – – – – – – – –
अनुराग – प़शस्तराग या निस्वार्थ प़ेम को अनुराग कहते हैं। यह अनुराग जिन शासन की प़भाव बनाने में सहायक है। अनुराग चार प़कार के होते हैं भावनुराग. प़ेमनुराग. मज्जानुराग ओर धमॅनुराग। धमॅनुराग होने पर ही भविष्य में कल्याण होगा।