प्रभु के दरबार में कहते हो झोली भर दो,
जबकि कहना चाहिये – झोली छुड़ा दो ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि लोग प़भु के दरबार में झोली भरने के लिए जाते हैं, जबकि भगवान् का कहना है कि सब अपनी झोली छोड़कर जाना है, भगवान् बनने का प्रयास करना आवश्यक है। भगवान् किसी को कुछ देते नहीं हैं, न ही मांगते हैं। अतः भगवान् से यही प्रार्थना करना चाहिए कि मुझे कुछ नहीं चाहिए बल्कि आपके बताए गए रास्ते पर चलने की शक्ति प्रदान करने का कष्ट करें ताकि अपना कल्याण हो सकता है ।
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि लोग प़भु के दरबार में झोली भरने के लिए जाते हैं, जबकि भगवान् का कहना है कि सब अपनी झोली छोड़कर जाना है, भगवान् बनने का प्रयास करना आवश्यक है। भगवान् किसी को कुछ देते नहीं हैं, न ही मांगते हैं। अतः भगवान् से यही प्रार्थना करना चाहिए कि मुझे कुछ नहीं चाहिए बल्कि आपके बताए गए रास्ते पर चलने की शक्ति प्रदान करने का कष्ट करें ताकि अपना कल्याण हो सकता है ।