Month: January 2010
नग्नता
हिन्दुओं के कुछ प्रसिद्ध साधु तैलंग स्वामी, शुकदेव, दत्तात्रेय, वामदेव, हारीतक, संवरतक, आरूणी, श्वेतकेतु आदि जिन्होंने दिगम्बरत्व को अपनाया । पं. रतनलाल बैनाडा जी
उपशांत/क्षपक श्रेणी
ग्यारहवें गुणस्थान वाले का चारित्र, आठवें गुणस्थान के क्षपक श्रेणी वाले से ज्यादा होता है, पर विशुद्धि और निर्जरा कम होती है । श्री रतनलाल
भाग्य/पुरूषार्थ
जो सहजता से मिले, वह भाग्य। जो मेहनत से मिले, वह पुरूषार्थ।। आर्यिका श्री प्रज्ञामति माताजी
स्वरूपाचरण
स्वरूपाचरण चारित्र का नाम किसी भी पुराने आचार्य ने शास्त्रों में नहीं लिखा है । श्री रतनलाल बैनाडा जी
मृत्यु-महोत्सव
असली मृत्यु-महोत्सव तो मुनिराजों और सल्लेखना पूर्वक मरण करने वालों का ही होता है । पर उसका छोटा रूप देखा भाई स्व. श्री राजेन्द्र कुमार
आवश्यक
6 आवश्यकों में से 3 तो कर्म हैं । – गुरूपास्ति, देवदर्शन/पूजा और स्वाध्याय । इनसे मनोरंजन भी होता है । अगले 3 साधन है
निदान
निदान संसारी सुखों का ही होता है । प्रशस्त निदान – जैसे 5 लाख रू. मिल जायें तो बिटिया की शादी कर दीक्षा ले लूंगा
चारित्र
किसी को राह (चारित्र) दी, निगाह (श्रद्धा) छीन ली, किसी को दे निगाह, राह छीन ली। श्री लालमणी भाई
बातूनी
क्या आप किसी को जबरदस्ती खिलाते हो, या भेंट दे सकते हो ? यदि नहीं, तो लोगों को उनकी अनिच्छा होने पर भी अपनी बातें
केवली समुद्दघात
केवली समुद्दघात में, केवली भगवान आत्मा में कर्मों की आर्दता को, जाते और वापस आते समय सुखाते हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी
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