Month: February 2010
धर्म प्रभावना
जैसे कमजोर गाय भी बछड़े को दूध पिलाकर हष्ट-पुष्ट करती है, ऐसे ही अल्पबुद्धि जीव भी धर्म-प्रभावना करके दुसरों को आत्मरूप से बलबान बना सकते
चारित्र मोहनीय बंध
तीव्र कषाय और नो कषाय, अधिक मोह, रागद्वेष में अति लीनता से तीव्र अनुभाग का बंध होगा । तीव्र कषाय – तपस्वियों के चारित्र में
कर्म फल
पुर्व जन्मों के पापों की सजा इस जन्म में क्यों ? लक्ष्मी से गीता ने रुपये उधार लिये पर लौटाने के समय मन में बेईमानी
दर्शन मोहनीय/मिथ्यात्व बंध के कारण
अरिहंत, सिद्ध, उनके चैत्य ( प्रतिमा ) , गुरू ( जो सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान या सम्यग्चारित्र में हमसे श्रेष्ठ हों ), श्रुत, धर्म, संघ का अवर्णवाद
रामायण/महाभारत
रामायण और महाभारत में दस लाख वर्ष का अंतर था । जिज्ञासा समाधान पेज नं. 13
वेदनीय कर्म बंध के कारण
साता का बंध – दया, व्रत ( हिंसादि त्याग), योग ( समाधि परिणाम ), धर्म-ध्यान, शुक्ल-ध्यान, क्षमा, दान ( आहार, औषधि, अभय, ज्ञान ) पंचपरमेष्ठी
सलाह
महुआ चातुर्मास के दौरान पूरी रात पूजा की गई और विधि पूर्वक नहीं की गई । आचार्य श्री से निवेदन किया गया कि आप इसे
तीर्थंकर प्रकृति
3 अशुभ लेश्याओं में तीर्थंकर प्रकृति का प्रारंभ नहीं होता । लेकिन नरक आयु पहले से बंधे होने पर, तीसरे नरक तक कपोत लेश्या में
उधारी
1 ठग सेठ को ठगने पहुँचा। वहाँ देखा कि सेठ तो किसी को भी पैसे उधार दे रहा है। उसने भी 1 लाख रू. उधार
उद्वेलना
रस्सी को बटा, फ़िर खोल दिया । अपकर्षण करके अन्य प्रकृति रूप प्राप्त करा कर नाश करना । कर्मकांड़ गाथा : – 349
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