Month: March 2010
मोह
March 24, 2010
मोह को छोड़ो, मोक्ष मिलेगा । करना क्या है ? ‘ह’ की जगह ‘क्ष’ लगाना है । आचार्य श्री विद्यासागर जी
Forgive/Forget /Forward
March 23, 2010
Forgive is good, Forget is better, to move Forward is best. Mr. Deepak Jain – USA
अनंतानुबंधी कषाय
March 23, 2010
अनंतानुबंधी कषाय दुमुखी है – सम्यक्त्व व चारित्र दौनों को सांप की तरह दौनों मुँह से खाती है । मुनि श्री आर्जवसागर जी
Positive Thinking
March 22, 2010
When you reach for stars, you may not quite get them, but you won’t come up with a handful of mud either.
नाड़ी
March 22, 2010
लोक नाड़ी – 14 राजू ऊँची होती है । त्रस नाड़ी – 13 राजू – 60 योजन ( 3 वातवलय X 20 योजन) राजू |
आचरण
March 21, 2010
कोई तुम्हें बातों के बीज दे, तुम उनके फूलों के पौधे बनाकर ( अपनी क्रिया से ) अपने जीवन को सजा लेना ।
समता
March 20, 2010
मुर्दा ड़ूबता नहीं, ड़ूबता तो ज़िंदा ही है । क्योंकि मुर्दा के समता भाव है और ज़िंदा छटपटाता है, अहंकारी है और कर्ता की भावना
Recent Comments