Month: May 2010

आकिंचन धर्म

एकत्व की भावना ही आकिंचन धर्म है । कर्तत्व, भोगत्व और स्वामित्व बुद्धि से ही, बुद्धि खराब हो रही है । जो कुछ संसार में

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मृत्यु-भय

मृत्यु-भय  किनको लगता है ? श्रीमति शर्मा मृत्यु-भय  उनको होता है, जिन्हें कर्म-सिद्धांत पर और अपने कर्मों की अच्छाई पर भरोसा नहीं हो । यदि

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करूणा

करुणा करने वाला अहं का पोषक भले ही ना बने, परन्तु स्वंय को गुरू अवश्य समझने लगता है तथा लेने वाले को शिष्य । सुख

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मान

बकरी तो मैं-मैं करै, अपनौ मूड़ कटाऐ । मैना तो मै-ना कहै, दूध भात नित खाये ।। श्री लालमणी भाई

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मोक्ष मार्ग

कृषि, घास (संसार का वैभव) पैदा करने के लिये नहीं की जाती, घास तो Main फसल (मोक्ष मार्ग साधना) के साथ स्वतः ही प्राप्त हो

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निमित्त

भगवान की वाणी खिरने के लिये भी निमित्त चाहिये । तभी तो भगवान की वाणी गणधर के बिना खिरती नहीं है । आचार्य श्री विद्यासागर

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Aim/Effort

Life without an AIM is like an Envelope without an address, A life with AIM, but no EFFORT to achieve is like an Envelope with

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निद्यत्ति/निकाचित

देवदर्शन से निद्यत्ति और निकाचित कर्म कटते नहीं बल्कि, उनका निद्यत्ति पना और निकाचित पना समाप्त हो जाता है । गुरू श्री (शब्दकोश 136,138)

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कुश्रुत ज्ञान

कुश्रुत ज्ञान असंज्ञियों के सिर्फ इंद्रियों से होता है, पर संज्ञीयों के मुख्यत: मन से होता है (बाह्य + अंग प्रविष्ट का ज्ञान) । पं.

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अनुकम्पा

हमारे अंदर अनुकम्पा कितनी प्रतिशत है ? पूरे दिन में जितने प्रतिशत समय, हम चींटी/कीटाणुओं को देखकर चलते हैं, या अपने से छोटों के साथ

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मंगल आशीष

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May 31, 2010