Month: May 2010

साधू

साधू अहिंसक कैसे कहे जाते हैं ? हिंसा तो प्रमाद पूर्वक ही होती है और साधू प्रमाद रहित होते हैं । पं. रतनलाल बैनाडा जी

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अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया ( वैशाख शुक्ल तीज )। इस दिन भगवान आदिनाथ ने अपना पहला आहार इक्षुरस ( गन्ने का रस ) से लिया था, जो

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हिंसा

आत्मा प्राणों से भिन्न है, प्राणों का वियोग होने पर आत्मा को तो कुछ भी नहीं होता, तो हिंसा/अधर्म कैसे हुआ ? प्राणों का वियोग

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संसार

एक दिन एक चूहा Dustbin में पूरा ना घुसकर वापस आ गया, क्योंकि उसकी Surface चिकनी थी । लेकिन हम संसार के चक्रव्युह में बाहर

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ज्ञायक

ज्ञायक बन गायक नहीं, पाना है विश्राम; लायक बन नायक नहीं, जाना है शिवधाम। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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भाव

2 प्रकार 1. परिस्पंदन रूप – मन, वचन, काय से । 2. अपरिस्पंदन रूप – सामान्य भाव से । परिस्पंदन रूप भाव तीव्र मंद होते

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नियम

आगे बढ़ने से पहले, जो पहले नियम लिये हैं, उन्हें देख लो, विचार कर लो । पड़ौसी की दूसरी दुकान देखकर, अपनी दूसरी दुकान मत

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परनिंदा

परनिंदा आदि से ‘नीच गोत्र कर्म’ में विशेष अनुभाग पड़ता है । बाकि 6 कर्मों का ‘प्रदेश बंध’ होता है । तत्वार्थ सुत्र टीका –

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संसार

संसार के लिये सब इंतज़ाम करते हैं, मोक्ष के लिये सिर्फ इंतज़ार ।

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सम्यक्त्व और आश्रव

सम्यक्त्व तो आश्रव का कारण होता नहीं है, फिर देवायु में कारण क्यों कहा है ? सम्यग्द्रष्टि जीव जब आयुबंध करता है तब देवायु का

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मंगल आशीष

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May 16, 2010