Month: June 2010
विनय
गौतम गणधर का सिर मानस्तंभ के पास शर्म से नीचे नहीं झुका था, बल्कि सम्यग्ज्ञान होने पर विनय से झुका था । आचार्य श्री विद्यासागर
>जिनबिम्ब
गौतम गणधर को सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और वैराग्य, भगवान को देखकर नहीं बल्कि मानस्तंभ में जिनबिम्ब को देखकर हुआ था । जड़ में इतनी शक्ति कहाँ
आज्ञा
भगवान कभी आज्ञा नहीं देते, वे सिर्फ बताते हैं । इसमें आज्ञा भंग होने का ड़र भी नहीं रहता । आज्ञा देना आसान है, मनवाना
विक्रिया/समुदघात
विक्रिया और समुदघात में क्या फर्क है ? विक्रिया में शरीर के नाना रूप बनते हैं । समुदघात में शरीर एक रहता है और आत्मा
क्रोध
माचिस की तीली के पास सिर होता है, दिमाग नहीं । इसलिये जरा से घर्षण से, अंगारे निकलने लगते हैं । हमारे पास तो दिमाग
संवर
संवर का मुख्य कारण तप है । तप से निर्जरा मुख्य रूप से होती है । तप से पुण्य बंध भी होता है । कारण
पुरूषार्थ/कर्मोदय
पुरूषार्थ = Doing/ करना । कर्मोदय = Being/ हो जाना । आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी
आकांक्षा
पूरे माह ईमानदारी और मेहनत से काम करेंगे तो माह के अंत में पगार मांगना पड़ेगी या अपने आप बैंक में पहुँच जायेगी ? अच्छे
बृम्हचर्य धर्म
अपने और दूसरों के प्राणों की रक्षा ही बृम्हचर्य धर्म है | आचार्य श्री विद्यासागर जी
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