Month: July 2010
कर्तव्य
एक माँ दूसरे धर्मावलंबियों की Activities में जाने लगीं । उनके बेटे (मेहुल) ने दो – तीन दिन देखा फ़िर पूछा – अपना धर्म कब
नित्य/ध्रौव्य
नित्य का अर्थ ध्रुव है । द्रव्यों का कभी विनाश नहीं होता – यह नित्य है । अनादि पारिणामिक स्वभाव का उदय तथा व्यय नहीं
Vegetarian Hotels In India
First 5 Star vegetarian hotel in India named ‘The Grand Bhagwati’ at Ahmadabad and 3 star ‘Country Inns & Suites’ at East Delhi, are available.
निगोद-स्थान
सिर्फ राजवार्तिक में इसका कथन आता है कि सातवीं पॄथ्वी के नीचे एक राजू मोटाई में “कलकल पृथ्वी” है, जिसमें निगोदिया जीव रहते हैं (
Success/Failure
Success is problem, but failure is formula. You can’t solve problem without knowing the formula. (Smt.Udaya)
केवली
भगवान के केवलज्ञान होते समय शरीर परम औदारिक हो जाता है, तो क्या सारे निगोदिया जीव मर जाते हैं ? बारहवें गुणस्थान में पहुँचने पर
समवाय
जिसके जुड़ने / मिलने पर कार्य की सिद्धी होती है, उसे समवाय कहते हैं । इसके पांच अंग हैं और कार्य की सिद्धी के लिये
गुणस्थान
दु:खमा-दु:खमा, उत्सर्पिणी के दु:खमा तथा म्लेच्छ खंडों में हमेशा पहला गुणस्थान ही रहता है । भोगभूमियों में चौथा गुणस्थान तक होता है । यहां ॠद्धिधारी
संसार
किसी भी बड़ी से बड़ी मशीन का छोटे से छोटा पुर्ज़ा भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है, जितना बड़ा पुर्ज़ा । हर पुर्ज़ा अपना role
क्षायिक सम्यग्दर्शन की स्थिति
संसारी जीव के लिये – जघन्य स्थिति – अन्तर्मुहूर्त होती है । उत्कॄष्ट स्थिति – आठ वर्ष, एक अन्तर्मुहूर्त कम, दो पूर्व कोटी होती है ।
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