Month: July 2010

श्रुतज्ञान

मतिज्ञान के आलम्बन से दूसरे पदार्थों का ज्ञान होना । जैसे “घ”,” ट” वर्णों का श्रवण मतिज्ञान से होता है, पर “घट” पदार्थ का ज्ञान,

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Attitude

“I would like to be hated for what I am, than to be loved for what I am not !” (Mr. Mehul)

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संक्रमण

ग्यारहवें गुणस्थान में मिथ्यात्व और सम्यग्मिथ्यात्व के संक्रमण नहीं होते । कर्मकांड़ गाथा 443

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अवधिज्ञान

इसे सीमाज्ञान भी कहते हैं । यह अधोगति पुदगलों को अधिकता से ग्रहण करता है, याने नीचे के रुपी पदार्थों को ज्यादा जानता है ।

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अधूरी विद्या

यदि विद्या पूर्ण रूप से हासिल नहीं की, तो काम नहीं चलेगा ; जैसे अभिमन्यु अधूरी विद्या  से मारा गया । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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अभयदान

एक ब्रम्हचारी जी कुछ हरी सब्जियों को रख कर बाकी का त्याग कर देते थे, और भोजन से पहले हाथ उठा कर बोलते थे  –

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सातवां गुणस्थान

सातवें गुणस्थान में संसार से भिन्न और निवृत्तिआत्मक क्रियायें होती हैं । आत्मा से अभिन्न प्रवृत्तिआत्मक क्रियायें होती हैं । आचार्य श्री – ( सागर

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मंगल आशीष

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July 6, 2010