Month: August 2010

निगोदिया

एक शरीर में अनंत निगोदिया, बादर निगोदियों की अपेक्षा से कहा गया है । बादर जीव ही किसी के आधार से रहते हैं । सुक्ष्म

Read More »

अभिमान

फुटबाल जब शान, शौकत और शौहरत की हवा से फूल जाती है, तब सब उसको ठोकर मारने लग जाते हैं।

Read More »

GOD & WORK

“Pray as if everything depends on GOD & WORK as if everything depends on You.” (Garima)

Read More »

बंधन/संघात

तैजस तथा कार्मण शरीरों में बंधन तथा संघात, कर्म वर्गणाओं को बांधते हैं तथा Plastering करते रहते हैं ।

Read More »

लब्ध्यपर्याप्तक मनुष्य

प्रश्न : क्या लब्ध्यपर्याप्तक मनुष्य सैनी कहे जा सकते हैं ? उत्तर : लब्ध्यपर्याप्तक मनुष्य जीव के पर्याप्तियां तो पूरी नहीं होतीं । इसलिये भाव

Read More »

क्षुद्रभव

प्रश्न : क्षुद्रभव से क्या अभिप्राय है ? इसका जघन्य काल कितना होता है ? उत्तर : क्षुद्रभव से अभिप्राय 1/24 सैकण्ड़ से है, इसमें

Read More »

छल

भले ही हम दूसरों को छल लें, पर छाले तो हमारी आत्मा पर ही पड़ेंगे ।

Read More »

असंयम

असंयम के साथ दुर्भग-नामकर्म हमेशा जुड़ा रहता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

August 26, 2010