Month: August 2010

धर्म

धर्म प्राणवायु है, हमारे जीवन के लिये Oxygen है, जो दिखती नहीं है, पर खाना, पानी, माँ आदि से भी ज्यादा  महत्वपूर्ण है | चिंतन

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सातिशय-पुण्य

  सम्यग्दर्शन व सम्यग्ज्ञान का फल चारित्र है । सम्यग्दर्शन व सम्यग्ज्ञान सरागावस्था में अकषाय भाव से सातिशय पुण्य का बंध करता है । यह

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अच्छा/बुरा

बहुत अच्छे तथा बहुत बुरे में भी कई समानताऐं होती हैं । जैसे बहुत कम प्रकाश में दिखता नहीं है, बहुत ज्यादा प्रकाश में भी

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द्वितियोपशम

प्रश्न :- द्वितियोपशम कितनी प्रकृतियों के उपशम से होता है ? उत्तर :- 7 प्रकृतियों के उपशम से । क्योंकि द्वितियोपशम-सम्यग्दर्शन, क्षयोपशमिक-सम्यग्दर्शन से ही होता

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Mistake

See a mistake as just a mistake, not “my” or “his” mistake. “My” brings guilt, “HIS” brings anger, only “MISTAKE” brings realization & likely improvement……. (Mr.

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सत्संग

एक आदमी सत्संग से हमेशा दूर भागता था, गुरू को आगे आगे के समय देता रहता था । एक दिन वह मर गया, गुरु शमशान

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मंगल आशीष

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August 16, 2010