Month: August 2010
जातिस्मरण/देवऋद्धि
जातिस्मरण देवों में पैदा होते ही अन्तर्मुहूर्त में होता है । अवधिज्ञान तथा देवऋद्धि-दर्शन पैदा होने के अन्तर्मुहूर्त बाद होता है । जिनभाषित – 6/10
निमित्त
सड़क पर किसी की पिटाई हो रही है । पिटने वाले का पापोदय, पीटने वाले निमित्त । पर आप क्यों नहीं बने निमित्त ? आपका
उदीरणा
उदीरणा तीन प्रकार की होती है । 1. हर कर्म के उदय के साथ उदीरणा होती है । 2. अकाल मृत्यु के समय आयुकर्म के
परनिंदा
एक राजा ने दो विद्वानों की खूब तारीफ़ सुनी। उसने दोनौं को अपने महल में बुलाया । एक विद्वान जब नहाने गया तो राजा ने
परमाणु/कालाणु में भेद
1. परमाणु मूर्तिक होता है, जबकि कालाणु अमूर्तिक होता है । 2. परमाणु एक प्रदेश में अनंत रह सकते हैं, जबकि कालाणु एक ही रहता
निर्बलता
पीले पत्ते तो पुरवया की बयार में भी गिर जाते हैं । ( कमजोर पत्ते तो सुहावनी हवा में भी टूट जाते हैं । निर्बलता
अवग्रह/धारणा
क्या अवग्रह के बाद धारणा सीधी हो सकती है ? हाँ, कुछ भी हो सकती है, कोई सी भी Stage हो सकती है । त.सू.टीका
धर्म
‘धर’ मतलब है रखना और ‘म’ मतलब है में । जब हम स्वयं को स्वयं में रखना शुरु कर देते हैं तो वहां से हम
प्रायोग्य-लब्धि
6 द्रव्यों और 9 पदार्थों के स्वरूप के विचारने से हुये परिणामों से, सब कर्मों की उत्कृष्ट स्थिति कम होकर अन्त:कोड़ाकोड़ी सागर तथा अप्रशस्त
कर्म फल
आपको शराब और शर्बत Offer किए जाये तो Selection आपके हाथ में है । यदि शराब पी तो नशा आएगा ही, थू थू होगी ही
Recent Comments