Month: March 2011
संसारी खेल
कैरम के खेल में अच्छा खिलाड़ी एक गोटी लेते समय यह ध्यान रखता है कि अपनी तो अगली गोटी बन जाऐ/ अच्छी Positon में आ जाऐ
कर्म बंध/निर्जरा
गाय रस्सी से बंधी है या रस्सी रस्सी से (गाँठ से) बंधी है? आत्मा रूपी गाय भी कर्मो से नहीं बंधी, कर्म कर्म से ही
भव्य/अभव्य
औरों के घर की धूप उसे क्यों पसंद हो, देख ली हो रोशनी जिसने अपने मकान की ।……….(भव्य) या बेच दी हो रोशनी जिसने अपने
God & Human
The BASIC Difference Between GOD & HUMAN Is – GOD – Gives, Gives, Gives & FORGIVES However HUMAN – Gets, Gets, Gets & FORGETS. (Dr.
दृष्टि
नासाग्र दृष्टि ही सरल दृष्टि है, इसी से समता आती है । यह प्रमाण-ज्ञान है, जबकि दृष्टिकोण नय-ज्ञान है। नासाग्र दृष्टि – नाक की सीध
मान/मद
मान-थोड़े समय के लिये घमंड़ । मद-लम्बे समय के लिये घमंड़ ।। —मद मदिरा बन जाता है, इतराना शुरू हो जाता है। चिंतन
निर्वाण
दीपक बुझाना नहीं है, जले हुऐ दीपक का महत्त्व समाप्त हो जाता है क्योंकि सवेरा हो गया है। श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर
निपटाना
पूजा आदि धार्मिक कार्यों के लिये ‘निपटाना’ शब्द का प्रयोग अटपटा लगता है, लेकिन सांसारिक कामों के लिये आम तौर पर प्रयोग क्यों होता है
Recent Comments