Month: April 2011
शुभराग और शुभोपयोग
शुभराग और शुभोपयोग में अंतर ? और इनके स्वामी ? शुभराग :- निरतिषय मिथ्यादृष्टि के, जिससे पुण्य बंध हैं, संवर निर्जरा नहीं होती । शुभोपयोग
तकिया/मनुष्य/आत्मा
तकिया : अच्छा वह माना जाता है जो मुलायम हो और मालिक के अनुसार अपना अस्तित्व बदल दे/अपना आकार बदल ले। मनुष्य : अच्छे बुरे
विकार
सरसरी निगाह से देखने का मतलब रूचि नहीं, सबकुछ गौण। यदि किसी प्रिय वस्तु पर निगाह टिक गयी तो विकार आए बिना रहेगा नहीं। आचार्य
परोपकार
Q. – किसी के लिये बहुत ज्यादा करो और वो प्रतिक्रिया अच्छी न दे तो मन का दुखी होना स्वाभाविक है ना ? श्रीमति
तीर्थंकर प्रक्रति
तीर्थंकर प्रक्रति का अनुभाग कभी कम और कभी ज्यादा तो बंधता है,पर उदय में कम या ज्यादा कैसे आएगा ? बंधता तो कम ज्यादा है
क्रोध
क्रोध की गाड़ी हमेशा ढ़लान पर चलती है। (पति का क्रोध पत्नी पर, पत्नी का नौकरानी पर आदि) सम्यग्दर्शन पेज 346
संयम
कम खाना, गम खाना, न हाकिम पर जाना, न हकीम पर जाना । * हाकिम = अफ़सर सम्यग्दर्शन पेज 343
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