Month: September 2012
उत्तम क्षमा
अरिहंत कहते हैं की सब जीवों को माफ करो, हृदय के कोने को साफ करो । माफी मांगने की शुरूआत मैं करता हूँ, माफी देने
क्षमादिवस
हमने हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी बड़ी धूमधाम से पर्युषण महापर्व मनाया और उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, आकिंचन्य
उत्तम ब्रम्हचर्य
आत्म कल्याण के लिये पांचों इन्दियों के विषयों/पापों को छोड़ना उत्तम ब्रम्हचर्य है। आचार्य श्री विद्यासागर जी ब्रम्हचर्य के लिये इष्ट, गरिष्ठ, अनिष्ट आहार ना लेने
उत्तम आकिंचन्य
बाह्य और अंतरंग ममत्व का पूरी तरह से छूटना उत्तम आकिंचन्य है । परिग्रह तो दुख ही है, क्योंकि इसमें रागद्वेष उत्पन्न होता है ।
उत्तम त्याग
स्व और पर कल्याण के लिये अपनी वस्तु का त्याग । आदर्श त्याग – विषयभोगों का + अंतरंग और बाह्य परिग्रह का । गृहस्थों का
उत्तम तप
इच्छाओं का निरोध ही तप है । दो तरह के लोग होते हैं – 1. खाने पीने और मस्त रहने वाले, ये दुर्गति को प्राप्त
उत्तम संयम
संयम का अर्थ है एक सशक्त सहारे के साथ हल्का सा बंधन । यह बंधन निर्बंध करता है । आज तो हम बिना ब्रेक की
उत्तम सत्य
परनिंदा/चुगली , पाप में प्रवृत्ति, अप्रिय , असंयम को प्रेरणा देने वाले , ड़र पैदा करने वाले और शोक/संताप कराने वाले वचन भी असत्य होते
उत्तम शौच
लोभ का उल्टा, जो जीवन को पवित्र करे । पवित्रता दो प्रकार की है – 1. शारीरिक – जो तपस्या से आती है । 2.
उत्तम आर्जव
आर्जव धर्म , मायाचारी का उल्टा यानि सरलता । मायाचारी व्यक्ति प्राय: साँप जैसा होता है, ऊपर से सुंदर और चिकना, पर अंदर से ज़हरीला
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