Day: March 23, 2013

क्षायिक चारित्र

क्षायिक चारित्र होता तो है 12 वें गुणस्थान से, पर नैगमनय (भविष्य) की अपेक्षा 8 वें गुणस्थान से माना है । पं श्री रतनलाल बैनाड़ा

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दु:ख

दु:ख आयें तो पाप क्रियाओं को दूर करें, क्योंकि दु:ख आते ही पूर्व के पापकर्मों से हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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मंगल आशीष

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March 23, 2013