Month: April 2013

संस्कृति

पूर्व की संस्कृति : कम में संतुष्टि पश्चिम की संस्कृति : अधिक से असंतुष्टि चिंतन

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घर/आश्रम

घर को आश्रम बनायें, पर आश्रम को घर ना बनायें आचार्य श्री विद्यासागर जी

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भवविपाकी

जिन प्रकृतियों का फल भव-विशेष में ही होता है । यथार्थत: आयुकर्म की चारों प्रकृतियों को ही भवविपाकी माना है परन्तु गति नामकर्म, आयुकर्म का

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Priority

Decide your priorities in life, rest every thing works around them. Do not regret later since it was your prioritisation. (Mr.Sumant S.)

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Karma

Nature runs a restaurant called “Karma”. Where you need not to place any order…. You are served automatically what “You” have cooked. (Dr. Nikita)

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मंगल आशीष

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April 4, 2013