Day: June 9, 2013

संवर/निर्जरा

पहले से ग्यारहवें गुणस्थान तक संवर तो समान रह सकता है पर निर्जरा बढ़ती रहती है । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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नियम

निष्ठा से लें, द्रढ़ता से निभाऐं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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मंगल आशीष

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June 9, 2013