Month: June 2013

संवर/निर्जरा

पहले से ग्यारहवें गुणस्थान तक संवर तो समान रह सकता है पर निर्जरा बढ़ती रहती है । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

Read More »

नियम

निष्ठा से लें, द्रढ़ता से निभाऐं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Read More »

सतर्क

सतर्क रहो, “स” “तर्क” नहीं । आचार्य श्री विद्यासागर जी

Read More »

Love

Love is not only for fellow human beings, but also for yourself, for all your internal and external organs. Sri. Shelendra Singh

Read More »

संकल्प

संसारी संकल्प लो तो घने विकल्प होते हैं, धार्मिक संकल्प लो तो विकल्प समाप्त होते हैं ।

Read More »

कर्तृत्व/कर्तव्य

कर्तृत्व में कर्ता का भाव है, अहम् है, कर्तव्य में बिना पाने की इच्छा के सेवा भाव है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

June 11, 2013