Month: December 2013

Challenge

The greatest challenge in life is discovering who you are. The second greatest is being happy with what you are. (Mrs.Ekta)

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मैं

मैं शरीर नहीं हूँ, मैं शरीर में हूँ । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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मंज़िल

लोग मंज़िल को मुश्किल समझते हैं, हम मुश्किल को मंज़िल समझते हैं | बडा फ़र्क है लोगों में और हम मैं, लोग ज़िंदगी को दोस्त

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God

When you pray for others, God listens to you and blesses them, and sometimes, when you are safe and happy, remember that someone has prayed

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परिग्रह

अज्ञान दशा में जोड़ा है (जरूरत से ज्यादा) तो ज्ञान दशा में छोड़ दो । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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अभिमान

यह सजीव में ही नहीं, निर्जीव में भी पाया जाता है । जैसे कपड़े, मुर्दे, आँख, नाक आदि की देखभाल ना करो तो वे बदबू/दर्द

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मानना

किसकी बात मानें ? मन की ? मन तो मोह में मदहोश रहता है !! दूसरों की ? वे भी रागीद्वेषी हैं, सही सलाह कैसे

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मंगल आशीष

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December 14, 2013

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