Month: March 2014
‘प’
‘प’ शब्द हमको बहुत प्रिय है । हम जिंदगी भर ‘प’ के पीछे भागते रहते हैं । जो मिलता है वह भी ‘प’ और जो
अभिशाप
अपनों का अभिशाप बहुत बड़ा, पर अपना अभिशाप सबसे बड़ा – इंद्रियों/धन/बल के दुरुपयोग से मिलता है ये अभिशाप मुनि श्री सुधासागर जी
भगवान का नाम
ग़ालिब ने यह कह कर तोड़ दी तस्बीह (माला).. गिनकर क्यों नाम लूँ उसका जो बेहिसाब देता है । (डॉ. सुधीर – सूरत)
नादानी
जानता हूँ मैं कि सब कुछ जानता है तू, ऐ मेरे खुदा फिर भी छिपाता हूँ, मैं हर खता ,किस कदर नादान हूँ मैं ।
Acceptance
You are great, if you can find your faults. You are greater, if you can correct them. But you are greatest, if you accept &
सीमा
पं. श्री रतनलाल मुख्तार जी ने परिग्रह की सीमा का नियम लिया । मंहगाई बढ़ती गयी, उन्होंने एक बार खाना शुरू कर दिया, और बढ़ी
फल
हनुमान और रावण में प्रतिस्पर्धा हो गयी । रावण ने पहले घूँसा मारा हनुमान सहजता से झेल गये । हनुमान ने मारा तो रावण बेहोश
Worry
“Worry is a total waste of time. It doesn’t change anything but…, Surely keeps us very very busy doing nothing.” (Ms. Namita – Surat)
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