Day: May 23, 2014

कुशील

प्रतिसेवना-कुशील-साधु में दोष तथा कषायें भी होती हैं। जबकि कषाय-कुशील-साधु में दोष नहीं होते सिर्फ कषायें होती हैं, यानी शुद्धता अधिक। पं.रतनलाल बैनाड़ा जी

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“अगर जियो और जीने दो की भावना अंदर आ जाये तो बाह्य रूप भगवान जैसा बन ही जायेगा ।”

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मंगल आशीष

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May 23, 2014