Month: May 2014

सुख

थोड़े से, क्षणिक सांसारिक सुख के बदले में अनंत/शास्वत आत्मिक सुख को छोड़े/भूले हुये हैं । ऐसा ही है जैसे मंज़िल के रास्ते में थोड़ी

Read More »

आचरण

आचरण को आगे के कमरे में रखो, आत्मा को पिछले कमरे में । दौनों को एक कमरे में रख लिया तो आत्मा रागी द्वेषी बन

Read More »

पर्याय/द्रव्य

पर्याय द्रव्य की एक अवस्था है । जैसे फल को देखकर बीज का निर्णय होता है, ऐसे ही पर्याय को देखकर द्रव्य का और द्रव्य

Read More »

Growing up

Sometimes you have to eat your words, Chew your Ego, Swallow your Pride, &Accept that-You are Wrong. It’s not Giving Up, it’s called Growing up.

Read More »

संगति

खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है । जैसी संगति वैसे बनोगे । मंदिर जाओगे भगवान जैसे, गुरूओं की सेवा में रहोगे त्याग/संयम के भाव

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

May 4, 2014