Month: May 2014
सुख
May 4, 2014
थोड़े से, क्षणिक सांसारिक सुख के बदले में अनंत/शास्वत आत्मिक सुख को छोड़े/भूले हुये हैं । ऐसा ही है जैसे मंज़िल के रास्ते में थोड़ी
आचरण
May 3, 2014
आचरण को आगे के कमरे में रखो, आत्मा को पिछले कमरे में । दौनों को एक कमरे में रख लिया तो आत्मा रागी द्वेषी बन
पर्याय/द्रव्य
May 2, 2014
पर्याय द्रव्य की एक अवस्था है । जैसे फल को देखकर बीज का निर्णय होता है, ऐसे ही पर्याय को देखकर द्रव्य का और द्रव्य
Growing up
May 2, 2014
Sometimes you have to eat your words, Chew your Ego, Swallow your Pride, &Accept that-You are Wrong. It’s not Giving Up, it’s called Growing up.
संगति
May 1, 2014
खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है । जैसी संगति वैसे बनोगे । मंदिर जाओगे भगवान जैसे, गुरूओं की सेवा में रहोगे त्याग/संयम के भाव
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