Month: June 2014

सामर्थ

पहलवान में सामर्थ, साधारण से बहुत ज्यादा, पर डरपोक । हम सब में भगवान जैसा बनने की शक्ति नहीं है क्या ? पर डरपोक हैं,

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सर्वघाती कषाय

अनंतानुबंधी, अप्रत्याख्यान, प्रत्याख्यान सर्वघाती तो संज्वलन क्यों नहीं ? वह भी तो यथाख्यात चारित्र नहीं होने देती है ? आत्मा का अनुभव तीव्र कषाओं में

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स्वभाव

जिसमें थकें नहीं । भोजन करने में, हंसने में भी थकान है । मौन में नहीं – स्वभाव है । ब्र. नीलेश भैया

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Peace of Mind

Once Buddha was travelling with a few of his followers. While they were passing a lake, Buddha told one of his disciples, “I am thirsty.

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क्रोध

किसी को कुँऐ में गिरता देख, तुम भी कुँऐ में गिरते हो ? यदि नहीं, तो किसी को क्रोध करते देखकर क्रोध क्यों करते हो

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Life

Success always hugs you in PRIVATE…! but Failure always slaps you in the PUBLIC That’s Life”….. (Sri Tushar Bhai- Mumbai)

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ऊँचाइयाँ

अपना कद इतना ऊपर कर लो कि वहाँ पत्थर पहुँच ही ना पाऐं । यदि अभी लग रहे हैं पर आप दु:खी नहीं हो रहे,

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गलती

यदि तुम्हारी गलती है तो सहन कर लेना, प्रायश्चित हो जायेगा । और अगर तुम्हारी गलती नहीं है फिर भी सहन कर लेना, तप हो

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सिद्धों के भाव

क्षायिक भावों के अलावा सिद्ध भगवान के जीवत्व पारिणामिक भाव भी होता है । सिद्धों के भी भाव होते हैं ? हाँ, उनके भी परिणमन

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मंगल आशीष

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June 30, 2014