Month: August 2014

धर्म

वस्तु का स्वभाव ही धर्म है । इस स्वभाव को पाने के लिये जो शुभ क्रियायें की जाती हैं वे भी धर्म हैं ।

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उच्चासन

भगवान/गुरू/शास्त्र को ऊँचे आसन पर क्यों बैठाते हैं ? दीपक को ऊँचे आसन पर क्यों रखते हैं ? ताकि प्रकाश अधिक से अधिक स्थान तक

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Worry

Being worried is like walking on a Trademill, It does not take you anywhere but makes you sweat and keeps you busy. Mr.Deepak Jaiswal

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सुखिया/सुखी

संसारी साधनों में रहने वाले को सुखिया कहते हैं, जैसे राजा आदि । सुखी जो साधनों का अभ्यस्त न हो पर साधनों से घ्रणा भी

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सम्यक्त्व

क्षायिक सम्यक्त्व – वीतराग सम्यक्त्व है, शेष दो सराग सम्यक्त्व हैं । अमितगति श्रावकाचार शुभोपयोगी चार से सात गुणस्थान में व्यवहार/सराग सम्यक्त्वी, शुद्धोपयोगी सात से

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दोष

उल्कापात भी पूरे जंगल को नष्ट नहीं कर पाते, छोटी सी चिंगारी पूरे जंगल को नष्ट कर देती है । चिंतन

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मंगल आशीष

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August 22, 2014