Month: September 2014

आचरण

दूसरों को अपने चरणों में झुकाना तो आसान है, पर क्या तुम अपने चरणों में झुक सकते हो ? झुकने योग्य मानते हो ? पैर

Read More »

ईश्वर

कैसे मान लूँ की तू पल पल में शामिल नहीं, कैसे मान लूँ की तू हर चीज़ में हाज़िर नहीं । कैसे मान लूँ की

Read More »

शनिग्रह

शनिग्रह लगने से किसी को नुकसान होता है, किसी को फायदा । तो यह फायदा शनिग्रह ने कराया या हमारे पाप/पुण्य ने ? धर्मेंद्र

Read More »

योग

श्री धवला जी के अनुसार – योग पारिणामिक भावों से होते हैं। अन्य आचार्यों के अनुसार औदयिक व क्षयोपशमिक भावों से भी। समग्र- 4/21

Read More »

भलाई

भलाई कितनी/कब तक ? जब तक अपनी और सामने वाले की भलाई हो/संभावना रहे । अपनी भलाई ? हाँ ! जब अपने भाव संक्लेशित होने

Read More »

क्रिया

हाथ पैर तो तैरने वाला भी मारता है और जिसे तैरना नहीं आता वो भी । फिर दूसरा ड़ूबता क्यों है ? हाथ पैर सलीके

Read More »

गुण

एक गुण को भी यदि उत्कृष्ट बना लिया तो वह छोटे मोटे बहुत से अवगुणों को बहा देगा । जैसे नदी में कितने भी मगरमच्छ

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

September 21, 2014

September 2014
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
2930