Month: September 2014
दृष्टि
दूसरों में झाँकना छोड़ो, अपने को आंकना शुरू करो । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
Help
Some people will pretend to care, so they can get a better seat to watch you struggle. Every helping hand, is NOT always there to
आहारक शरीर
“…..चाहारकं…..” में “च” का अर्थ है – पूर्व सूत्र का लब्धि प्रत्ययं, याने आहारक शरीर भी लब्धि से प्राप्त होता है। यह अपने आप नहीं
क्षमावाणी दिवस
कल पर्युषण पर्व चला गया । पर क्या सचमुच पर्व चला गया ? जाता वही है जो पहले कभी आया हो । पर क्या पर्युषण
उत्तम ब्रम्हचर्य
संसार से विश्राम की दशा का नाम ही ब्रम्हचर्य है । स्त्री के पीछे भागना और स्त्री से दूर भागना, बात एक ही है ।
उत्तम आकिंचन धर्म
दुनियाँ के सारे संबंधों के बीच, मैं अकेला हूँ यही भाव रखना आकिंचन धर्म का सूचक है । आचार्य श्री विद्यासागर जी कुछ मिलने की
उत्तम त्याग धर्म
भोग विलास की चीजों और क्रोध, मान, माया, लोभ का त्याग सबसे बड़ा माना गया है और महत्वपूर्ण भी । त्याग करने से लोभ और
उत्तम तप धर्म
तप यानि इच्छाओं का निरोध जैसे चाय छोड़ना आसान है चाय की चाह छोड़ना मुश्किल, पहले चाह छोड़नी है तब चाय छोड़ें । आचार्य श्री
उत्तम संयम धर्म
संयम का मतलब होता है – आलंबन, बंधन । जैसे लता ,पेड़ के सहारे ,थोड़ा सा बंधन पाकर ,उन्नति को प्राप्त करती है, फलती फूलती है
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