Month: October 2014
दीपावली
गंदगी पर स्वच्छता की, अज्ञान पर प्रकाश की, पापों पर धर्म की संसार पर मोक्ष कि विजय का प्रतीक दीपावली है । चिंतन
धन तेरस
धन तेरा क्या रस (धन को जब अपना नहीं मानोगे तब ही तो रस आयेगा) इसीलिये शायद आज के दिन धन को खर्च करने का
नीतिशास्त्र/धर्मशास्त्र
संसार भविष्य पर दृष्टि रखता है, धर्म वर्तमान पर । वर्तमान ठीक हो गया तो भविष्य तो ठीक हो ही जायेगा । ब्र. नीलेश भैया
Life & Death
Death asked Life – Why does everyone love you & hate me ? Life – Because I am a beautiful LIE, and you are a
पुरुषार्थ
पुरुष (आत्मा) तक पहुँचने वाले को पुरुषार्थी कहते हैं । समग्र-4 अंदर/तिजोरी तक सेठ ही पहुँचता है, सेवक तो बाहर बाहर ही रहता है/उलझा रहता
कष्ट
कष्ट सहे बिना कोई इष्ट और मिष्ट नहीं बन सकता । मुनि श्री कुंथुसागर जी
अकाल मरण
पंड़ित जी – निश्चयनय से तो अकाल मरण होता ही नहीं है । आचार्य श्री – निश्चयनय से तो मरण ही नहीं होता है, अकाल
ज्ञानी
ज्ञान का सार्थक* प्रयोगी ही ज्ञानी है । श्री लालमणी भाई *आत्म शुद्धता
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