Month: January 2015
वस्तु अनेक धर्मात्मक
पर्याय अनंत होती हैं, इसीलिये वस्तु को अनेक धर्मात्मक कहा है । अपने स्वभाव के अनुसार सत्, पर की अपेक्षा असत् है । एक ज्ञान
Own Life
If you live for other’s acceptance, you will die from their rejection. (Mr.J.P.Sharma-Jaipur)
आस्था
भक्त ,सूर्य देव (जो बादल से ढके हुये थे) को जल चढ़ा रहा था। सूरज तो दिख नहीं रहे ? अभी नहीं दिख रहे, पर हैं
पुरुषार्थ
साइकिल बिना पैडिल मारे कैसे चल रही है ? पहले ज्यादा पैडल मार लिए थे। (धर्मेंद्र)
स्नेह/वात्सल्य
क्रूर प्राणी को भी स्नेह हो सकता है, इसीलिये इसे प्रमाद में रखा है । वात्सल्य को सम्यग्दर्शन का अंग कहा है । मुनि श्री
Mind
Mind is like a magnet , if it is full of blessing, it will attract blessing. If it is full of curse, curse will be
सुख
इतिहास कहता है – भूत में सुख था, विज्ञान का कहना है – भविष्य में सुख होगा, धर्म का कहना – आज में सुख है।
मतलब पर याद
यदि कोई आपको मतलब पर याद करता है, तो बुरा मत मानना; मोमबत्ती को अंधेरा होने पर ही याद किया जाता है और वह बिना
सातवाँ गुणस्थान
कहते हैं – मुनि आहार करते हुए भी आहार नहीं करते, सो कैसे ? सातवें गुणस्थान में स्थित मुनिराज आहार करेंगे या अपनी और दूसरे
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