Month: February 2015

दस्तूर

कब्र पर तो मोमबत्ती जलाई जाती है, जन्म-दिन पर बुझाते हैं । मरणोपरांत नया जीवन प्रकाशित होता है। (धर्मेंद्र) जन्म-दिन पर जीवन के एक वर्ष

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निष्कपट

एक मित्र के पास बहुत सारी स्वादिष्ट मिठाइयाँ थीं, दूसरे के पास आकर्षक पत्थर । दूसरे ने exchange का offer रक्खा। पहले ने अपनी सारी

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ज्ञान

ज्ञान पाने के 4 चरण गुरु विनय स्वयं का अभ्यास/पुरूषार्थ पुण्य/समय आना मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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रत्नत्रय से बंध तथा मोक्ष

समयसार – जब जघन्य भाव से परिणमन करता है/राग सहित होता है तब इंद्रादि/ तीर्थंकर आदि का बंध करता है । उत्कृष्ट भाव/राग रहित मोक्ष

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दुनिया का सच

लोग दूल्हे के तो आगे चलते हैं, पर अर्थी के पीछे। दुनिया सुख में तो आगे रहती हैं, पर दुख में पीछे हो जाती है

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लेना/देना

नदियाँ देती ही रहती हैं इसलिए उनका पानी मीठा होता है। समुद्र लेते ही रहते हैं इसलिए खारे हो जाते हैं। देते रहेंगे तो मीठे

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शब्द

शब्द मुफ्त में मिलते हैं, पर, जिस तरह उनका प्रयोग किया जाता है, वैसी ही कीमत चुकानी पड़ती है। (सुधीर चौधरी)

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मंगल आशीष

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February 19, 2015

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