Day: April 16, 2015

सुख/संतोष

सुख की चाहना द्वंद पैदा करती है, संतोष की चाहना शांति । (श्रीमती दीपा)

Read More »

अपर्याप्तक

विग्रह गति में अपर्याप्तक, योनि स्थल पर पहुँचने के बाद लब्धि या निवृत्ति, बाद में निवृत्ति-अपर्याप्तक ही पर्याप्तक बन जाते हैं । ये चारों विभाजन

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives

April 16, 2015