Month: April 2015

हंसी

जो दूसरों पर हंसता है, वह मूर्ख है, जो अपने पर हंसता है, वह समझदार है, जो दु:ख में हंसता है, वह संत है ।

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बुद्धि

बुद्धि मिलती है भाग्य से, और बढ़ती है विनय तथा अभ्यास से ।

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भाग्य

कर्म, भाग्य, पुरुषार्थ – ये सब पर्यायवाची हैं । (श्रीमति महेन्द्री)

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Prayer

Best day for prayer- “Day before death.” How do we know that day? Nobody knows, that’s why today is best day, every day is day

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क्षायिक सम्यग्दर्शन

क्षायिक सम्यग्दर्शन होते समय मिथ्यात्व का संक्रमण सम्यक्-मिथ्यात्व में और सम्यक्-मिथ्यात्व का सम्यक्-प्रकृति में हो जाता है तब सम्यक्-प्रकृति का क्षय होता है । बाई

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धर्मनीति/राजनीति

अपने गुनाह को स्वीकार करने वाले को धर्मनीति गले लगाकर शाबाशी देती है, राजनीति सज़ा । मुनि श्री सुधासागर जी

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आत्म शुद्धि

शरीर/व्यक्ति तो सिर्फ तात्कालिक है पर पद त्रैकालिक होता है । शरीर मिट भी जाये तो चलेगा पर आत्मा भ्रष्ट मत होने देना ।

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मान

यदि आपको कोई छोटा दिखाई दे रहा है तो इसके दो ही मतलब हैं – या तो आप उसे दूर से देख रहे हैं ,

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सोच

सदपुरुष का – जीओ और जीने दो, महापुरुष का – जीओ और जीना सिखाओ । चिंतन

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मंगल आशीष

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April 13, 2015