Month: July 2015
संस्थान विचय
6 गुणस्थान वाले मुनिराज को ही, क्योंकि जो प्रत्यक्ष नहीं दिखता, उसके लिये श्रद्धा अधिक चाहिये । चिंतन
Continuity
Be like a postage stamp. Stick to one thing until you get there. (धर्म में इसे अमूढ-द्रष्टि कहते हैं)
वैभव
तजुर्बा है मेरा… मिट्टी की पकड़ मजबूत होती है, संगमरमर पर तो पैर फिसलते देखा है मैंने । (नितिन)
अंतरंग
गुब्बारा ऊपर उठते उठते संदेश देता है… “वो जो बाहर है वह नहीं, भीतर वाला ही ऊपर ले जाता है” (अंजना)
कीर्ति
आचार्य श्री का इतना यश इसलिये है क्योंकि उन्होंने कभी किसी की निंदा नहीं की, प्रतिकार तक नहीं करते हैं । मुनि श्री कुंथुसागर जी
परोपकार
वृक्ष की छाया उसे (वृक्ष) कभी भी प्राप्त नहीं होती, पर वृक्ष की छाया के बिना पृथ्वी जल नहीं जायेगी ? और जब पृथ्वी जलेगी
मनुष्यों की संख्या
यह 29 अंक प्रमाण है, पर इसमें सिर्फ पर्याप्तक मनुष्य ही लिये गये हैं (निवृत्ति अपर्याप्तक भी शामिल है) । सम्मूर्च्छन मनुष्य तो असंख्यात होते
स्थिति का परिणाम
किसी भी स्थिति का अंत तो उसके प्रारंभ में ही तय हो जाता है । महाभारत
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