Month: July 2015

क्रोध

यदि क्रोध आ ही जाये तो अपने आपको मत भूलो । ब्र. नीलेश भैया

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आदान-प्रदान

दूसरों को अपना पुण्य फल दिया तो जा सकता है, पर दूसरा ले तभी पायेगा, जब उसके पास अपने पुण्य हों । चिंतन

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भक्ति

भक्ति, भगवान और भक्त के बीच दोनों को जोड़ने में, गोंद का काम करती है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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सुख

सुख प्राप्त करने की वस्तु नहीं, सुख वस्तु में है ही नही । यह तो पहचानने की चीज है । महाभारत

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बंध

अभव्य के जघन्य बंध नहीं होता है । बाई जी

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आदत

आदतें यदि समय रहते नहीं सुधारीं तो वे जरूरतें बन जाती हैं । ब्र. नीलेश भैया

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छोटा / बड़ा

झरने से पूछा समुद्र जितने बड़े क्यों नहीं बन जाते ? झरना – मैं बड़ा होकर खारा नहीं बनना चाहता । (अरुणा)

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Serving Persons

Quote on 1st page of Preventive Medicine- I keep six honest serving persons, they taught me all I know. Their names are- What Why When

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मंगल आशीष

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July 14, 2015