Month: September 2015
गुरू
September 4, 2015
जहाँ नदी का पानी (भगवान की वाणी) नहीं पहुँच पाता, वहाँ गुरू रूपी नहर/पाइप से पानी पहुँचाया जाता है । मुनि श्री निर्वेगसागर जी
धर्मात्मा
September 3, 2015
जो संसारी वस्तुओं का त्यागी हो, वह धर्मात्मा हो भी सकता और ना भी हो, पर जिसने संसारी व्यक्तियों को स्वीकार कर लिया हो, वह
भगवान में आत्मा
September 2, 2015
14वे गुणस्थान तथा सिद्धों की आत्मा, पूर्व शरीर से कुछ कम, क्योंकि नामकर्म का उदय 13वे गुणस्थान तक ही होता है । पाठशाला
आँसू
September 1, 2015
जो दूसरों की आँखों को आँसू देते हैं, वे क्यों भूल जाते हैं कि उनके पास भी दो आँखें हैं। (अरविंद)
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