Month: December 2015

निर्जरा

सविपाक तथा अकाम निर्जरा सब जीवों के (सम्यग्दृष्टि व मिथ्या दृष्टि के भी), अविपाक वृतियों के, पर सम्यग्दर्शन के सम्मुख खड़े पहले गुणस्थान वाले के

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पीड़ा

कर्मोदय/पीड़ा की अस्वीकारता में पीड़ा है, स्वीकारता में नहीं ।

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Faith

Faith sees / believes the invisible, and receives the impossible / incredible.

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सुख

संसार में सुख, दर्पण में मुख होता नहीं, दिखता है । साधनों में नहीं साधना से, साध्य को पाने में मिलता है । आर्यिका श्री

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Goal

A good and difficult GOAL is like a strenuous exercise, it makes you stretch and strong.

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कर्म प्रक्रिया

कार्मण शरीर में असाता का उदय, तो तैजस को बुखार, औदारिक बीमार । इलाज- कार्मण का इलाज किये बिना रोग ठीक होने वाला नहीं जैसा

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वैभव

मैं नमक की तरह हूँ । जो जरुरी तो है, मगर जरुरत से ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता हूँ । मैं बोलता

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मंगल आशीष

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December 23, 2015

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