Month: December 2015

गुरु / भगवान

गुरु/भगवान के दरबार में “द” शब्द वाली वस्तु “स” शब्द में बहुत ही जल्दी बदलती है.. जैसे दुःख बदल जाता है, सुख में; दुविधा बदल

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माहौल

गाँव छोड़कर शहर आये एक व्यक्ति ने क्या खूब लिखा है … “गाँव छोड़ के शहर आया था फिक्र वहां भी थी, फ़िक्र यहां भी

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Habit

From word “HABIT” , if “H” is deleted , still “A BIT” is left , “A” is also dropped , “BIT” remains . Lot of

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शरीरों के प्रदेश

औदारिक वैक्रियक से बड़ा, पर प्रदेश कम, सो कैसे ? औदारिक वर्गणायें बड़ी, वैक्रियक की छोटी । ऐसे ही आहारक की असंख्यात गुणी छोटी, जबकि

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एकता

झाड़ू, जब तक एक सूत्र में बँधी होती है, तब तक वह “कचरा” साफ करती है। लेकिन वही झाड़ू जब बिखर जाती है तो खुद

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साधु

तुम किस किस को हटाओगे ? किस किस को घर से निकालोगे ? इसलिये, स्वयं निकल जाओ । स्वयं हटना बहुत सरल है, इसीलिये, साधु

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मंगल आशीष

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December 14, 2015

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