Month: April 2016

मोह

फलदार पेड़ों से फल गिरते रहते हैं, पर नये नये फल लगते रहते हैं । क्यों ? क्योंकि मोह की जड़ें बड़ी गहरी हैं, वे

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गुणस्थानों में सम्यक्त्वादि

चौथे गुणस्थान में क्षायिक सम्यक्त्व लब्धि तथा केवली के उत्कृष्ट (परभावगाढ़), श्रुत केवली के अवगाढ़ सम्यक्त्व होता है । ऐसे ही क्षायिक चारित्र में बारहवें

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वृक्षारोपण

जिन्हें अपनी गाड़ी???? छांव में लगाने का शौक है, वो पेड़ लगाने का भी शौक रखें । (रजत-शिवपुरी)

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संसार के सुख दु:ख

दो बच्चे देरी से स्कूल पहुँचे । कारण ! पहले का सिक्का गिर गया था । दूसरा सिक्के पर पैर रक्खे खड़ा रहा था ।

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गलतियाँ और पश्चाताप

ज़िन्दगी में इतनी गलतियाँ ना करो, कि पेन्सिल से पहले रबर घिस जाये ! और रबर को इतना मत घिसो, कि ज़िन्दगी का पेज ही फट

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Education

Education is not the clearing of the pale*, rather, it is the lighting of the fire. *धुंधलका

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बंधन

सांसारिक बंधन पुराने जूते जैसा होता है – पता ही नहीं लगता कि पैर जूते में फंसा है । पता तब लगता है जब जूता

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स्त्री-लिंग छेदन

एक बार स्त्री से पुरुष बनने को लिंग-छेदन नहीं कहते, हमेशा हमेशा के छेदन को कहते हैं – जैसे सीता का लिंग-छेदन । क्या पुरुषों

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मंगल आशीष

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April 30, 2016