Month: April 2016
अर्थ / परमार्थ
April 22, 2016
परमार्थ से अर्थ का महत्त्व जब बढ़ जाता है, तब, हम स्वार्थी बन कर अनर्थ की ओर बढ़ जाते हैं ।
प्रसन्नता
April 21, 2016
प्रसन्न वही जो प्रशंसा में प्रसन्न न हो, (तभी तो आलोचना में भी प्रसन्न रह पायेगा ) ।
साधना
April 20, 2016
शरीर में सामर्थ्य ना हो तो साधना कैसे करें ? साधना शरीर से कम,मुख्य रूप से मन साधने से होती है ।
झूठी शान
April 19, 2016
बटुए को कहाँ मालूम था कि पैसे उधार के हैं, वो तो पहले की तरह फूला ही रहा । (मंजू)
अनमोल रिश्ते
April 18, 2016
एक बार संख्या 9 ने 8 को थप्पड़ मारा , 8 रोने लगा… पूछा मुझे क्यों मारा..? 9 बोला… मैं बड़ा हूँ, इसीलिये मारा ।
गाँठ
April 16, 2016
गन्ने में जहाँ गाँठ होती है वहाँ रस नहीं होता, जहाँ रस होता है वहाँ गाँठ नहीं होती । बस, जीवन भी ऐसा ही है
आवश्यक जोड़ियाँ
April 14, 2016
* धन तभी सार्थक है, जब धर्म भी साथ हो। * विशिष्टता तभी सार्थक है, जब शिष्टता भी साथ हो। * सुंदरता तभी सार्थक है,
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