Month: April 2016

अर्थ / परमार्थ

परमार्थ से अर्थ का महत्त्व जब बढ़ जाता है, तब, हम स्वार्थी बन कर अनर्थ की ओर बढ़ जाते हैं ।

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प्रसन्नता

प्रसन्न वही जो प्रशंसा में प्रसन्न न हो, (तभी तो आलोचना में भी प्रसन्न रह पायेगा ) ।

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साधना

शरीर में सामर्थ्य ना हो तो साधना कैसे करें ? साधना शरीर से कम,मुख्य रूप से मन साधने से होती है ।

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झूठी शान

बटुए को कहाँ मालूम था कि पैसे उधार के हैं, वो तो पहले की तरह फूला ही रहा । (मंजू)

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अनमोल रिश्ते

एक बार संख्या 9 ने 8 को थप्पड़ मारा , 8 रोने लगा… पूछा मुझे क्यों मारा..? 9 बोला… मैं बड़ा हूँ, इसीलिये मारा ।

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साता

साता के समय, साता का उपभोग कम कर दें । श्री लालमणी भाई

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गाँठ

गन्ने में जहाँ गाँठ होती है वहाँ रस नहीं होता, जहाँ रस होता है वहाँ गाँठ नहीं होती । बस, जीवन भी ऐसा ही है

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आवश्यक जोड़ियाँ

* धन तभी सार्थक है, जब धर्म भी साथ हो। * विशिष्टता तभी सार्थक है, जब शिष्टता भी साथ हो। * सुंदरता तभी सार्थक है,

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मंगल आशीष

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April 22, 2016