Month: June 2016
द्वीप/समुद्रों के संरक्षक
हर द्वीप और समुद्रों के दो-दो संरक्षक होते हैं । एक उत्तर का, दूसरा दक्षिण का । जैसे नंदीश्वर द्वीप के एक देव का नाम
मंदिर
जब कण कण में भगवान हैं तो तुम मंदिर क्यों जाते हो ? हवा तो धूप में भी चलती है पर आनंद छाँव में बैठ
शिकायत
शिकायतें तो बहुत हैं तुझसे ऐ ज़िंदगी, पर चुप इसलिये हूँ कि, जो दिया तूने वो भी कहाँ पूरा जीया हमने … (विजय-आगरा)
रिश्ते
नहीं छोड़ी कमी, किसी भी रिश्ते को निभाने में मैंने । आने वालों को दिल का रास्ता दिया, और जाने वालों को रब का वास्ता
Positivity
Thanks to… nights that turned into mornings, friends that turned into family, dreams that turned into realities. (Aruna)
आहार,भय और मौत
एक ड़ाल पर दो उल्लू, एक के मुँह में साँप, दूसरे के में चूहा; साँप के मुँह में पानी(1), चूहे का मुँह भयभीत(2) । (1)
ज़रूरत और ख्वाहिश
नंगे पाँव चलते “इन्सान” को लगता है कि “चप्पल होती तो कितना अच्छा होता” फिर ऐसा लगा कि……… “कार होती तो धूप नहीं लगती” फिर
क्षायिक सम्यग्दर्शन
केवली का पादमूल तथा व्रजवृषभनाराच संहनन जरूरी होता है । पाठशाला
Recent Comments