Month: June 2016
Selfishness
June 12, 2016
“LIFE” sometimes becomes so “SELFISH” that it makes us want “EVERYTHING”. And while “TRYING” for “EVERYTHING” we miss “SOMETHING” that’s worth “EVERYTHING”. (Manju)
द्रव्य/भाव
June 9, 2016
भाव में वर्तमान की प्रधानता होती है, द्रव्य में वर्तमान की प्रधानता नहीं होती है । क्षु. श्री ध्यानसागर जी
Acceptance
June 9, 2016
When we don’t accept an undesired event, it becomes “Anger”; when we accept it, it becomes “Tolerance.” When we don’t accept uncertainty, it becomes “Fear”;
जीवन का गणित
June 8, 2016
जीवन का गणित अनोखा है- वर्तमान सुधरा तो भविष्य सुधरता है । जीवन सुधरा तो मृत्यु सुधरती है ।
परमात्मा से प्रेम
June 5, 2016
जब भी परमात्मा पर प्रेम आये तो एक जीव को कत्ल होने से बचा लेना । (मंजू)
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