Month: June 2016

Selfishness

“LIFE” sometimes becomes so “SELFISH” that it makes us want “EVERYTHING”. And while “TRYING” for “EVERYTHING” we miss “SOMETHING” that’s worth “EVERYTHING”. (Manju)

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तात

जो पुत्र को तारे ! (संसार में फँसाये नहीं)

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द्रव्य/भाव

भाव में वर्तमान की प्रधानता होती है, द्रव्य में वर्तमान की प्रधानता नहीं होती है । क्षु. श्री ध्यानसागर जी

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Acceptance

When we don’t accept an undesired event, it becomes “Anger”; when we accept it, it becomes “Tolerance.” When we don’t accept uncertainty, it becomes “Fear”;

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जीवन का गणित

जीवन का गणित अनोखा है- वर्तमान सुधरा तो भविष्य सुधरता है । जीवन सुधरा तो मृत्यु सुधरती है ।

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हस्तरेखा

यह एक प्रकार की लिपि है, जिसे कम लोग ही सही सही पढ़ पाते हैं ।

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मंगल आशीष

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June 13, 2016